कानां माहीं कुण्डल,
अधरों पे बाँस रे,
मीठी मीठी तान से,
बजावो यो बांसुरी,
जादूगर साँवरो यो,
मनडे रे ने खींचे जी,
कालजो निकाल सी के,
प्यारा चित्त चोर जी।
टेढ़ी मेढ़ी चाल चाले,
मुड़ मुड़ देखे जी,
गायां ने चरावतो यो,
ग्वालियां ने देखे जी,
माखन और मिश्री को,
कह्यो जावे चोर जी,
कालजो निकाल सी के,
प्यारा चित्त चोर जी।
रूप यो सलौनो थारो,
सुरभी ने भायो जी,
भगतां के मनड़े में,
जाय के समायो जी,
चरणां में थारे म्हे तो,
झुक झुक जावां जी,
कालजो निकाल सी के,
प्यारा चित्त चोर जी।