मेरे दिल की पतंग में श्याम, की डोर तू लगाईं देना
कहीं और ना उड़ जाये, इसे खाटू धाम उड़ाई देना
सांवरिया तेरा हो जाए,डाल दे अपनी डोर जी
और किसी का ना हो जाये,खींच ले अपनी ओर जी
तेरा होगा बड़ा एहसान,की मंदिर तक पहुचाई देना
मेरे दिल की पतंग में श्याम,की डोर तू लगाईं देना
अपनी अंगुली से तू डोरी रोज हिलाते रहना श्याम
तू अपने दरबार से इसको रोज नचाते रहना श्याम
तुम्हे झुक झुक करे ये प्रणाम, की इसको ये सिखाई देना
मेरे दिल की पतंग में श्याम, की डोर तू लगाईं देना
रखना अपनी नजर में बाबा, इधर उधर मुड़ जाये ना
तेरी चौखट छोड़ किसी से पेंच कहीं लड़ जाये ना
ये दुनिया बड़ी बेईमान, की दुनिया से बचाई लेना
मेरे दिल की पतंग में श्याम, की डोर तू लगाईं देना
जब तक है जिंदगानी मेरी,पतंग कहीं काट जाये ना
तेरे हाँथ से डोर ना छूटे, ध्यान तेरा हट जाये ना
इसपे बनवारी लिख दे तेरा नाम, ये किरपा तू बरसाई देना
मेरे दिल की पतंग में श्याम, की डोर तू लगाईं देना
मेरे दिल की पतंग में श्याम, की डोर तू लगाईं देना
कहीं और ना उड़ जाये, इसे खाटू धाम उड़ाई देना
भजन गायक - सौरभ मधुकर
भजन रचयिता - जयशंकर चौधरी " बनवारी "