किसने सजाया तुमको इतना शृंगार करके,
मैं लूट गई कन्हैया दीदार यार करके,
किसने सजाया तुमको.......
हर फूल की काली है रंगत भी मनचली है गजरे की मस्त खुशबु लगती बड़ी भली है,
पहना दिया है सारे गुलशन को हार करके,
मैं लूट गई कन्हैया दीदार यार करके,
किसने सजाया तुमको.......
क्या मुकत की लटक है मनमोहनी मटक है,
मुश्कान तेरी जालिम दिल में गई अटक है,
नजरो का तीर निकले जिगर को पार करके,
मैं लूट गई कन्हैया दीदार यार करके,
किसने सजाया तुमको.......
तुझपर निगहा अटकी हट टी नहीं हमारी,
मदहोश कर दिया है सूद खो गई बिहारी,
रखना कदम कदम पे मुझको संभाल करके,
मैं लूट गई कन्हैया दीदार यार करके,
किसने सजाया तुमको.......