नंदलाला तेरा गोपाला तेरा
रोज हमको सताए बता क्या करूँ
वो ना बिलकुल डरे तंग हमको करे
रोज माखन चुराए बता क्या करूँ
वो मिली राह में रहता है गाँव में
अपने ग्वालो के संग में है छेड़े हमें
वो तो माने नहीं कुछ भी जाने नहीं
तोड़ मटकी तुड़ाये बता क्या करूँ
एक सोहनी सूरत दूजी मोहिनी मूरत
और ऊपर से मीठी है बोली बड़ी
मैं किसको कहु होश में ना रहु
बन्सी ऐसी बजाये बता क्या करूँ
उसके संग में चले है ये राम केशवी
अब किससे बता मैं शिकायत करूँ
रहता है बाट पे यमुना घाट पे
भरे वस्त्र चुराए बता क्या करूँ