जन्म श्री कृष्ण ने, लिया है जेल में,
मारने कंस को, खेल ही खेल में।
आया मथुरा से गोकुल में, देवकी का बाल,
बन गया एक दिन में, यशोदा का लाल.....-2
प्यारा नन्द नंदन खाये, मिश्री माखन,
होगा जीवन सफल, ये उसी से मेल में,
जन्म श्री कृष्ण ने, लिया है जेल में,
मारने कंस को, खेल ही खेल में......
माँ यशोदा को देने बधाई अपार,
सारा गोकुल उमड़ आया नन्द जो के द्वार......-2
नन्हा बालक मोहन सबका पालक मोहन,
सारी फुलवारी महक रही एक दिन में,
जन्म श्री कृष्ण ने, लिया है जेल में,
मारने कंस को, खेल ही खेल में.......
कृष्ण से हो मिलन तो हो जीवन सफल,
उसके दर्शन बिना मोरा मन है विकल......-2
बाँट जोहूंगी मैं हठ ना छोडूंगी मैं,
प्राण बस्ते हैं मेरे छबीले छैल में,
जन्म श्री कृष्ण ने, लिया है जेल में,
मारने कंस को, खेल ही खेल में......