हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत,
और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत
श्री राम नाम जप के लंका से जीत आए,
हनुमान सिद्धि पा गए हरि नाम की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं....
कुछ पुण्य हो रहा है जो सूरज निकल रहा है,
धरती थमी है सदियों से इंसान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं...
फणि गर्व हो रहा है विज्ञान की बदौलत,
विज्ञान का वजूद है भगवान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं...
मेरे लिए अतिथि भगवान के बराबर,
सर करते है न्यौछावर मेहमान के बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं...
लब पे हंसी नहीं तो जीना भी है क्या जीना,
पहचान है जहाँ में मुस्कान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं...