नित नयो लागे साँवरो,
एकी लेवा नज़र उतार, नज़र ना लग जावे....
सोने के सिंघासन पर बैठयो म्हारो श्याम धणी,
तन केसरियो बागों है सोभा अपरम्पार घणी,
धीरे धीरे मुलक रहयो नैना से छलके प्यार,
नज़र ना लग जावे....
भाँति भाँति के फूला का लाम्बा लाम्बा गजरा है,
ऊपर से इतर छिड़के घणा श्याम का नख़रा है,
इके आगे फ़ीका है दुनिया का राजकुमार,
नज़र ना लग जावे....
सजधज कर के श्याम धणी निज दरबार लगावे है,
एक बार जो देखे है नज़र हटा ना पावे है,
बच के राहियों साँवरा ‘बिन्नू’ का ये उदगार,
नज़र ना लग जावे....