मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी,
तेरे दर पे आकर के झुकती है बाबा दुनिया सारी,
तेरी नंदी की संवारी लगती है बड़ी प्यारी,
तेरे नाम की मुझपे चढ़ गयी मेरे बाबाजी है खुमारी,
मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी।।
त्रिविलावा पत्रं त्रिशूल धारी त्रिनेत्रम मेरे बाबा जी,
रावण को देदी सोने की लंका खुद कैलाश पर वासा जी,
अध्भुत वर दिया भस्मा सुर को पड़ा जो तुझपर भरी जी,
मोहनी रूप में आये मोहन तेरी विपदा तारी जी,
तूने त्रिपुर दैत्य को मारा तेरा नाम पड़ा त्रिपुरारी,
मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी,
तेरे दर पे आकर झुकती है बाबा दुनिया सारी मेरे भोले ।।
कर्पूर गौरवम बदन तुम्हारा,
भक्त तुम्हारे कहते है,
करुणा के अवतार है बाबा,
भक्तो के ह्रदय में रहते है,
भक्तो के हित विष पी डाला,
नील कंठ तेरा नाम पड़ा,
मस्तक चंदा जटा में गंगा,
अध्भुत तेरा रूप बना,
तेरे गले में सर्पो की माला,
तेरी सूरत भोली भाली है,
मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी,
तेरे दर पे आकर झुकती है बाबा दुनिया सारी ॥
मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी,
तेरी नंदी की संवारी लगती है बड़ी प्यारी,
मेरे भोले भंडारी क्या बात है तुम्हारी,
तेरे दर पे आकर झुकती है बाबा दुनिया सारी ॥
मेरे भोले........