करके प्रीत पछताई रे बेदर्दी सांवरिया से,
दरदी पिया से बेदर्दी पिया से....
बरसो की कहे अब ही ना आए,
मेरे दिल को बहुत दुखाए,
काहे रूठा है मेरा कनाही रे बेदर्दी सांवरिया से.....
लिख लिख बात मेंने बहुत बनाई
बेदर्दी को शरम ना आई
और कुब्जा से प्रीत लगाई रे बेदर्दी सांवरिया से.....
अपनी थान जाने एक ना मानी,
बेदर्दी ने कदर ना जानी,
तूने प्रीत की रीत ना निभाई रे बेदर्दी सांवरिया से....
जो ऐसा जानती तो चकर मे ना पढती,
सांवरे छलिया से प्रीत नही करती,
तू तो निकला हरजायी रे बेदर्दी सांवरिया से....