तू ही साथी मेरा, तू ही तो सहारा,
तूने ओ खाटू वाले, मेरा जीवन सँवारा,
तू ही मेरी है नैया, तू ही मेरा खिवैया,
और कुछ ना जानूँ मैं, बस इतना ही जानूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
बिन बोले सुनता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
क्या मैं बताऊँ, क्या मैं छिपाऊँ,
बिन माँगे सब, मुझे मिल गया,
तेरी दया से, तेरी कृपा से,
गुलशन ये मेरा खिल गया,
मेरी शान है तू ही, पहचान है तू ही,
और कुछ ना जानूँ, बस इतना ही जानूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
बिन बोले सुनता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
मेरे अपनों में, मेरे सपनों में,
आता है तू बस नज़र,
मेरे हर पल की, मेरे हर क्षण की,
होती है तुझे सब ख़बर,
एक तू ही हमारा, बस तुम्ही से गुज़ारा,
और कुछ ना जानूँ, बस इतना ही जानूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
बिन बोले सुनता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
तेरे दर्शन से, तेरे सुमिरण से,
मिलता है सुख हमें साँवरे,
मेरे इस मन में, मेरे इस तन में,
बसता है तू ही साँवरे,
नाता जन्मों पुराना, तेरा मोहित दीवाना,
और कुछ ना जानूँ, बस इतना ही जानूँ,
इतना तू करता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।
बिन बोले सुनता है, ज्यादा मैं क्या कहूँ।