कद दर्शन करबा खातिर बुलावो गा

सांवरिया बोलो कद माहने संदेशो बिजवावोगा
कद दर्शन करबा खातिर बुलावो गा,

थारो म्हारो प्रेम प्रेम अनुठो जईया प्रीत पुरानी,
फिर भी क्यों तडपावे हो म्हाने बोलो शीश के दानी,
उल्जी गाठा में कद माहरा श्याम धनि सुल्जावे गा,
कद दर्शन करबा खातिर बुलावो गा,

आवे हुश्केया रुक रुक कर के जीव्ड़ो उठ उठ जावे,
साँची बोलू हे गिरधारी मनडो चैन न पावे
थे डाल के चाभी कब ताला किस्मत का खुल्वाओगा,
कद दर्शन करबा खातिर बुलावो गा,

अर्जी करे है बाबा था सु शिवम् भोलो भालो
गोर करो म्हारी बाता पे मत न श्याम थे टालो,
माहरी पकड़ी आंगली कद थारी नगरी थे घुमाओ गा,
कद दर्शन करबा खातिर बुलावो गा,
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