बालगणपति : सबसे प्रिय बालक, श्री गणेश जी बाल अवस्था में हैं।
भालचन्द्र : श्री गणेश जी के मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है।
बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान, भगवान श्री गणेश। श्री गणेश जी को रिद्धि और सिद्धि का प्रदाता कहा गया है, वे सद्बुद्धि देते हैं।
धूम्रवर्ण :धुंए के रंग के होने के कारण श्री गणपति धूम्रवर्ण कहलाते हैं।
भगवान गणेश जी के आखिरी अवतार का नाम ही धूम्रवर्ण है. धूम्रवर्ण अवतार की उत्पत्ति अहंतासुर नाम के दैत्य से देवताओं समेत पूरे ब्राह्माण्ड को मुक्त कराने के लिए हुई है।
एकाक्षर : भगवान श्री गणेश जी शुभ एक ओम के प्रतीक हैं।
एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड मानी गई है.
एकदन्त: भगवान श्री गणेश जी एक दांत के माने गए हैं।
गजकर्ण : भगवान श्री गणेश जी के कान हाथी के कान के समान हैं।
गजानन: भगवान श्री गणेश जी का मस्तक हाथी का है, इसलिए उनको गजानन श्री गणेश जी कहा जाता है।
गजवक्र : भगवान श्री गणेश जी की सूंड मुड़ी हुई है/घुमावदार है इसलिए वे वक्रतुण्ड हैं, गजवक्र हैं।
गजवक्त्र: भगवान श्री गणेश जी का मुख मंडल हाथी के भाँती है।
गणाध्यक्ष : भगवान श्री गणेश जी सभी गण /गणों के अध्यक्ष हैं, प्रमुख हैं।
गणपति : भगवान श्री गणेश जी सभी गणों के मालिक हैं, सभी गणों के पति हैं स्वामी हैं।
गौरीसुत : भगवान श्री गणेश जी माता गौरी/माता पार्वती के पुत्र हैं।
लम्बकर्ण : भगवान श्री गणेश जी का मस्तक हैं, इसलिए उनके हाथी की भाँती कान हैं। हाथी की भाँती कान होने के कारण ही इन्हे लंबकर्ण कहा जाता है।
लम्बोदर : भगवान श्री गणेश जी का पेट आगे निकला हुआ है, मोटा है। लम्बा उदर (पेट ) होने के कारण ही भगवान श्री गणेश को लम्बोदर कहा जाता है।
महाबल : भगवान श्री गणेश जी अत्यधिक बलशाली हैं।
महागणपति : भगवान श्री गणेश जी गणों में सबसे प्रमुख हैं।
महेश्वर: सारे ब्रह्मांड के भगवान होने के कारण श्री गणेश हैं।
मंगलमूर्ति : सभी शुभ कार्य मंगल मूर्ति गणेश ही हैं। वे अत्यंत ही मङ्गलकारी होने के कारण मङ्गल मूर्ति हैं।
मूषकवाहन : भगवान श्री गणेश जी चूहे/मूषक की सवारी करते हैं।
निधिश्वरम : रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं, निधि के ईश्वर हैं।
प्रथमेश्वर : भगवान श्री गणेश जी की पूजा सर्व प्रथम की जाती है, अतः वे प्रथम ईश्वर हैं।
शूपकर्ण : भगवान श्री गणेश जी के कान शूप की भाँती हैं।
शुभम : भगवान श्री गणेश जी सभी शुभ/पावन कार्यों के स्वामी हैं।
सिद्धिदाता: भगवान श्री गणेश समस्त कामनाओं के स्वामी, प्रदाता हैं।
सिद्धिविनायक : भगवान श्री गणेश समस्त काज सिद्ध करने वाले, सिद्धि के दाता हैं।
सुरेश्वरम : भगवान श्री गणेश जी देवताओं के स्वामी हैं।
वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड वाले, मुड़ी हुई सूंड वाले हैं।
अखूरथ : भगवान श्री गणेश जी का वाहक मूषक है।
अलम्पता : भगवान श्री गणेश अनन्त देव हैं।
अमित : भगवान श्री गणेश अतुलनीय एंव अद्वितीय हैं।
अनन्तचितरुपम : भगवान श्री गणेश अनंत और व्यक्ति चेतना वाले रूप में हैं।
अवनीश : भगवान श्री गणेश पूरे विश्व के स्वामी हैं।
अविघ्न : भगवान श्री गणेश समस्त बाधाएं एंव विघ्न को हरने वाले हैं।
भीम : भगवान श्री गणेश विशाल देह वाले हैं।
भूपति : भगवान श्री गणेश धरती के स्वामी हैं, मालिक हैं।
भुवनपति: भगवान श्री गणेश देवों के देव, देवताओं के पति/स्वामी हैं।
बुद्धिप्रिय : श्री गणेश ज्ञान के दाता हैं, बुद्धि को पसंद करने वाले हैं।
बुद्धिविधाता : श्री गणेश समस्त शुभ बुद्धि के स्वामी/मालिक हैं।
चतुर्भुज: श्री गणेश चार भुजाओं वाले हैं।
देवादेव : श्री गणेश सभी भगवान में सर्वोपरि होने के कारण देवादेव हैं।
देवांतकनाशकारी: श्री गणेश बुराइयों और असुरों के विनाशक हैं।
देवव्रत : श्री गणेश सबकी तपस्या को स्वीकार करने वाले हैं।
देवेन्द्राशिक : श्री गणेश सभी देवताओं की रक्षा करने वाले हैं।
धार्मिक : श्री गणेश धर्म पर चलने वाले, धर्म पालक हैं।
दूर्जा : श्री गणेश अपराजित देव हैं।
द्वैमातुर : श्री गणेश दो माताओं वाले हैं।
एकदंष्ट्र: श्री गणेश एक दांत वाले हैं।
ईशानपुत्र : श्री गणेश भगवान शिव के बेटे हैं।
गदाधर : श्री गणेश जिनका हथियार गदा है।
गणाध्यक्षिण : श्री गणेश सभी पिंडों के, गणो के स्वामी।
गुणिन: श्री गणेश सभी गुणों के ज्ञानी हैं।
हरिद्र : श्री गणेश स्वर्ण के रंग वाले हैं।
हेरम्बसिद्धि प्रियाय : श्री गणेश मां के प्रिय पुत्र।
कपिल : श्री गणेश पीले भूरे रंग वाले हैं।
कवीश : श्री गणेश कवियों के स्वामी हैं।
कीर्ति : श्री गणेश यश के स्वामी हैं।
कृपाकर : श्री गणेशकृपा करने वाले हैं।
कृष्णपिंगाश : श्री गणेश गहरी /श्याम आखों वाले हैं।
क्षेमंकरी : श्री गणेश माफी देने वाले देव हैं।
क्षिप्रा : श्री गणेश आराधना के योग्य देव हैं।
मनोमय : श्री गणेश मन को प्रशन्न करने वाले देव हैं।
मृत्युंजय : श्री गणेश मृत्यु को भी समाप्त करने वाले देव हैं।
मूढ़ाकरम : श्री गणेश आनंद के स्वामी हैं।
मुक्तिदायी : श्री गणेश शाश्वत आनंद के दाता हैं।
नादप्रतिष्ठित : श्री गणेश संगीत से प्रेम करने वाले हैं।
नमस्थेतु : श्री गणेश सभी बुराइयों पर विजय प्राप्त करने वाले देव हैं।
नन्दन: श्री गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं।
सिद्धांथ: श्री गणेश सफलता और उपलब्धियों के गुरु हैं।
पीताम्बर : श्री गणेश पीले वस्त्र धारण करने वाले हैं।
प्रमोदआनंद : श्री गणेश प्रमोद और आनंद के स्वामी हैं।
रक्त : श्री गणेश लाल रंग के शरीर वाले हैं।
रुद्रप्रिय : श्री गणेश भगवान शिव के प्रिय हैं।
सर्वदेवात्मन : श्री गणेश सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता हैं।
सर्वसिद्धांत : श्री गणेश कौशल और बुद्धि के दाता हैं।
सर्वात्मन : श्री गणेश ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले देव हैं।
ओमकार : श्री गणपति ओम के आकार वाले हैं।
शशिवर्णम : श्री गणपति जिनका रंग चंद्रमा को प्रिय हैं।
शुभगुणकानन : श्री गणपतिजो सभी गुणों के गुरु हैं, स्वामी हैं।
श्वेता : श्री गणपति जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध हैं।
सिद्धिप्रिय : श्री गणपति समस्त इच्छापूर्ति करने वाले हैं।
स्कन्दपूर्वज : श्री गणपति भगवान कार्तिकेय के भाई हैं।
सुमुख : श्री गणपति शुभ मुख वाले हैं।
स्वरूप : श्री गणपति सौंदर्य के प्रेमी हैं।
तरुण : श्री गणपति की कोई आयु नहीं है, आयुतीत हैं।
उद्दण्ड : श्री गणपति शरारती और उद्द्ण्ड हैं।
उमापुत्र : श्री गणपति पार्वती के पुत्र हैं।
वरगणपति : श्री गणपति अवसरों के स्वामी हैं।
वरप्रद : श्री गणपति इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता हैं।
वरदविनायक: श्री गणपति सफलता के स्वामी हैं।
वीरगणपति : श्री गणपति वीर ईश्वर हैं।
विद्यावारिधि : श्री गणपति बुद्धि के देव हैं।
विघ्नहर : श्री गणपति समस्त बाधाओं को दूर करने वाले हैं।
विघ्नहत्र्ता: श्री गणपति समस्त विघ्न हरने वाले हैं, समाप्त करने वाले देव हैं।
विघ्नविनाशन : श्री गणपति बाधाओं का अंत करने वाले देव हैं।
विघ्नराज : श्री गणपति सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।
विघ्नराजेन्द्र : श्री गणपति सभी बाधाओं को अपने वश में रखते हैं।
विघ्नविनाशाय : श्री गणपति समस्त बाधाओं का नाश करने वाले देव हैं।
विघ्नेश्वर : श्री गणपति बाधाओं के हरने वाले भगवान हैं।
विकट : श्री गणपति अत्यंत विशाल हैं।
विनायक : श्री गणपति सब के भगवान में शुभ हैं।
विश्वमुख : श्री गणपति ब्रह्मांड के गुरु हैं।
विश्वराजा : श्री गणपति संसार के स्वामी/ईश्वर हैं।
यज्ञकाय : श्री गणपति सभी बलि को स्वीकार करने वाले हैं।
यशस्कर : श्री गणपति प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी हैं।
यशस्विन : श्री गणपति सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव हैं।
योगाधिप : श्री गणपति ध्यान के प्रभु / ईश्वर हैं।
भगवान श्री गणेश के पिता : भगवान शंकर
भगवान श्री गणेश की माता : भगवती पार्वती
भगवान श्री गणेश के भाई- श्री कार्तिकेय, अय्यप्पा (बड़े भाई)
भगवान श्री गणेश बहन- अशोकसुन्दरी , मनसा देवी , देवी ज्योति ( बड़ी बहन )
भगवान श्री गणेश की पत्नी : ऋद्धि और सिद्धि।
भगवान श्री गणेश के पुत्र : शुभ और लाभ
भगवान श्री गणेश की पुत्री : संतोषी माता
भगवान श्री गणेश प्रिय भोग : मोदक, लड्डू
भगवान श्री गणेश के प्रिय पुष्प : सभी लाल रंग के पुष्प।
भगवान श्री गणेश प्रिय वस्तु : दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
भगवान श्री गणेश किसके अधिपति हैं : जल तत्व के
भगवान श्री गणेश मुख्य अस्त्र - परशु , रस्सी
भगवान श्री गणेश का वाहन - मूषक