अपनी तो पतंग उड़ गई रे

फासले मिटा दो आज सारे,
हो गए जी आप तो हमारे,
मन का पंछी डोल रहा,
संग मेरे बोल रहा,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।

जब से तेरा दर्श मिला,
मन ये मेरा खिला खिला,
और मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
उड़ गई, उड़ गई, उड़ गई,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।

फ़ासले मिटा दो आज सारे,
हो गए जी आप तो हमारे,
मन का पंछी डोल रहा,
संग मेरे बोल रहा,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
जब से तेरा दर्श मिला.....

तुम हो जान तुम हो जिन्दगानी,
क्या है तेरे बिन मेरी कहानी,
मैंने तुझे जान लिया,
अपना तुझे मान लिया,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
जब से तेरा दर्श मिला.....

चरणों का बनकर पुजारी,
बीते उमरियां ये सारी,
नाम तेरा जब से लिया,
जाम तेरा जब से पिया,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
जब से तेरा दर्श मिला.....

आँखों में हो तेरा ही नज़ारा,
चारों तरफ दिखे श्याम प्यारा,
मधुर मधुर गान सुनूँ,
मुरली की तान सुनूँ,
क्युकी मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
जब से तेरा दर्श मिला.....

फ़ासले मिटा दो आज सारे,
हो गए जी आप तो हमारे,
मन का पंछी डोल रहा,
संग मेरे बोल रहा,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
जब से तेरा दर्श मिला,
मन ये मेरा खिला खिला,
और मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।  
उड़ गई, उड़ गई, उड़ गई,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे......
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