श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया रंग दे मेरा चोला,
लगन लगी तेरी प्रीत की ऐसी तन मन मेरा डोला,
जानू न मैं कित बहे गंगा कित बहे यमुना धारा,
सांझ सवेरे तू ही दिखे मन मोहन तू प्यारा,
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
भूल गई मैं गोकुल नगरी भूल गई मैं बरसाना,
पनघट को निकली थी घर से भूल गई कित जाना,
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
ऐसी धुन तेरी नाम की लागी मन ये हुआ वैरागी,
बंसी की धुन जब से सुनी है ना सोइ न जागी,
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया