ओ राधा, कन्हैया,
बात मानूँगी ना कान्हां तोरी,
डाँटते बाबुल और मैया मोरी,
होगी बदनामी सब की जुबानी,
रोज ऐसे ना मुझको बुलाओ,
ओ राधा ऐसे ना सताओ,
के मिलने रोज यमुना तट पे आओ।।
बात मान जाओ राधा,
तेरे बिना हूँ मैं आधा,
तेरे बिन मैं जी ना पाउँगा,
तेरे बिना मैं जी ना पाऊंगा,
तेरा क्या भरोसा, जा रे झूठा,
बात ना ऐसे बनाओ,
ओ राधा, ऐसे ना सताओ,
के मिलने रोज यमुना तट पे आओ।।
तू छलियाँ कान्हा है,
तेरे हाथ ना आना है,
तेरा प्यार नहीं बस खेल है ये,
तेरा प्यार नहीं बस खेल है ये,
कहो तो जान दे दू ओ मोरी राधा,
इल्ज़ाम ना ऐसे लगाओ,
कन्हैया तुम को ना सताऊँगी,
पनघट पर रोज मिलने आऊंगी।