तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं, जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है।।
पत्थर को चीर चट्टानों से, क्या सुन्दर गुफा बनाई है,
चरणों से निकली गंगधारा, ये कैसी लीला रचाई है,
हर डाल डाल हर पत्ते में, माँ नूर तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है।।
दरबार में ध्यानु ने आकर, सर काट के अपना चढ़ाया था,
माँ शक्ति आद्य भवानी ने फिर, चमत्कार दिखलाया था,
ध्यानु के सर को जोड़ दिया, उपकार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है।।
बलवीर कहे सुन जगदम्बे, क्यों दर से मुझे भुलाया है,
आयोजिका कहे सुन जगदम्बे, क्यों दर से मुझे भुलाया है,
एक बार कर्म अपना कर दो, माँ दास तुम्हारा आया है,
मैं कैसे सबर करूँ दिल में, दीदार तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है,
हर और निराले जलवे हैं जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,
तेरे द्वार पे आने वालों ने क्या अजब नज़ारा देखा है.........