ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है,
भक्तो का यहाँ होता बेडा पार है,
मइया मेरी आद भवानी जगदम्बे,
इसके चरणों में झुकता सारा संसार है,
ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है
मइया के दर पे तू अपने सिर को झुका के देख,
बिगड़ी पल में सवर जाएगी तू आजमा के देख,
कर देती खुशियों की बोशार है,
भक्तो का यहाँ होता बेडा पार है,
ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है
ममता की मूरत मेरी माँ है भोली भाली,
भर भर माल खजाने लुटाती भाटी झोली खाली,
प्रेम से मांगो माँ से नहीं इंकार है,
भक्तो का यहाँ होता बेडा पार है,
ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है
चिंता दूर करती मेरी चिंतपुरनी माँ,
मत गबराह तू दौड़ के माँ की शरण में,
इसके होते किसी की न दरकार है,
भक्तो का यहाँ होता बेडा पार है,
ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है
माँ से शीतल निवास निर्मल नहीं कोई जग में,
रूभी रिधम को वसा ले माँ अपनी रग रग में,
चारो दिशा में गूंज रही जय कार है,
भक्तो का यहाँ होता बेडा पार है,
ऊँचे पर्वत मैया का दरबार है