साई धुन गुन गुनाते जाना है

साई धुन गुन गुनाते जाना है,
साई का दरस पाना है,
साई धुन गुन गुनाते जाना है,
साई का दरस पाना है,
साईमय होके जग भुलाना है,
साई का दरस पाना है,
साई धुन गुन गुनाते जाना है,
साई का दरस पाना है।

है पिता वो ही माता है बहन वो ही,
भ्राता, विद्या, धन, सखा सब कुछ साईनाथ है,
जो भजे उसे हर पल भक्ति से वो पाये बल,
साई बाबा निसदिन ही उसके साथ है,
सुखदायी ये ही इक ठिकाना है,
साई का दरस पाना है,
साईमय होके जग भुलाना है,
साई का दरस पाना है।

धुनि की अगन में हम भस्म कर दे अपने गम,
खुशिया ही बटोरे थाम साई के चरण,
शिरडी जो भी आता है आसरा वो पाता है,
भक्तो को हमेशा साई देता है शरण,
जाके वही अपना सर झुकाना है,
साई का दरस पाना है,
साई धुन गुन गुनाते जाना है,
साई का दरस पाना है,
साईमय होके जग भुलाना है,
साई का दरस पाना है,
हा साई का दरस पाना है,
हा साई का दरस पाना है।
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