दर्शन के अमृत को साईं

दर्शन के अमृत को साईं प्यासा मनवा तरस रहा,
दर्शन दो साईं नाथ मोहे जन्मो से जेइया तरस रहा,

बारहा साल तपयासा की नी पूरण सतगुरु पाया,
त्याग वैराग की मूरत साईं खंडोबा जी फ़रमाया,
तीनो लोको पर है साईं प्यार तुम्हारा बरस रहा,
दर्शन दो साईं नाथ मोहे जन्मो से जीया तरस रहा,

सोला साल की तरुण अवस्था बवसागर को जी ता,
नूर इलाही मुखडे पर था भगतो का मन जी ता,
शिर्डी में तब से साईं प्रेम नजारा बरस रहा,
दर्शन दो साईं नाथ मोहे जन्मो से जीया तरस रहा,

सबका मालिक एक बताया भेद भाव को मिटाया,
ईद दिवाली के उस्तव को मिल जुल साथ मनाया,
हिन्दू मुशिल्म सब पर ही रहमत का सहारा बरस रहा,
दर्शन दो साईं नाथ मोहे जन्मो से जीया तरस रहा,

रणजीत राजा भी साईं देवा भजन तुम्हारे गावे,
नाम खुमारी में मत वाला  सबको साथ नचाये,
प्रेम की इसी लोह है लगी अंखियो से पानी बरस रहा,
दर्शन दो साईं नाथ मोहे जन्मो से जीया तरस रहा,
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