माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में,
मैं धूप में मैं छाव में,
मैं हूं भक्तों के आस में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में।
जड़ चेतन के सब रूपों में,
जड़ चेतन के सब रूपों में,
रहता हू बारहो मास में,
सुख में खुशिया दुःख में गम,
साई है तेरे पास में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में।
सर जो टेके मेरे दर पे,
सर जो टेके मेरे दर पे,
आ के शिरडी आवास में,
भक्तों की चिंता पल में मिटा कर,
पीड़ा का करता हू नास मैं,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में।
ग्यारह वचनो में अमृत है,
ग्यारह वचनो में अमृत है,
प्राण ये फुके लास में,
मुझको ध्याये वो ही सुख पाये,
मुझको ध्याये वो ही सुख पाये,
लेले मोहे विश्वास में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में,
मैं धूप में मैं छाव में,
मैं हूं भक्तो के आस में,
माटी का तन तेरा बन्दे,
मैं हूं तेरे श्वास में........