अमृत को छोड़ के ज़हर काहे पीजिये,
साई नाम लीजिये सदा मौज कीजिये,
मीठा साई नाम है मीठी साई की अदा,
मीठा साई रूप सा ऐसा कौन है बता,
और इस मिठास पर कौन ना ही रिजिऐ,
साई नाम लीजिये सदा मौज कीजिये,
केसा अद्भुत करिश्मा दिखया साई ने,
पानी से दीपक ऐसा जलाया साई ने,
भेद भाव भूल के सब साई साई कीजिये,
साई नाम लीजिये सदा मौज कीजिये,
हाथ में किसी के फूल और नारियल चढ़े,
मैं भी लाइ चोला साई द्वार तेरे है खड़े,
हमारी मनो कामना साई पुराण कीजिये,
साई नाम लीजिये सदा मौज कीजिये,