नाथ मैं तो हार गयी

नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी,
हम तो हुए पराए स्वामी, भांग लगे तुम्हें प्यारी,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी॥

हरी हरी भांग की बूटी देखो, सौतन बनी हमारी,
जंगल झाड़ दिखा दिए तुमने, काट काट मैं तो हारी,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी,
हम तो हुए पराए स्वामी, भांग लगे तुम्हें प्यारी,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी॥

तुम तो हो अलगस्ट भांग में, शिव भोले भंडारी,
राम नाम तुम दिन भर जपते, मैं मंदिर रखवाली,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी,
हम तो हुए पराए स्वामी, भांग लगे तुम्हें प्यारी,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी॥

भांग घोटत मेरी बईया दुखे, दुखत हाथ हमारे,
पीपी भांग रहो मस्ती में, सुद मेरी बिसराई,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी,
हम तो हुए पराए स्वामी, भांग लगे तुम्हें प्यारी,
नाथ मैं तो हार गई घोटत भांग तुम्हारी॥
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