राम करे सो होय,
राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत,
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत,
राम करे सो होय रे मनवा राम करे सो होय।
कोमल मन काहे को दुखाये काहे भरे तोरे नैना,
जैसी जाकी करनी होगी वैसा पड़ेगा भरना,
काहे धीरज खोये रे मनवा काहे धीरज खोये।
पतित पावन नाम है वाको रख मन में विश्वास,
कर्म किये जा अपना रे बंदे छोड़ दे फल की आस,
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा राह दिखाऊँ तोहे,
चित्रकूट सब दिन बसत प्रभु सिय लखन समेत,
राम नाम जप जापकहि तुलसी अभिमत देत।
राम राम काहे ना बोले,
व्याकुल मन जब इत उत डोले,
लाख चौरासी भुगत के आया,
बड़े भाग मानुष तन पाया,
अवसर मिला अमोलक तुझको,
जनम जनम के अघ अब धो ले,
राम राम काहे ना बोले।
राम जाप से धीरज आवे,
मन की चंचलता मिट जावे,
परमानन्द हृदय बस जावे,
यदि तू एक राम का होले,
राम राम काहे ना बोले।
इधर उधर की बात छोड़ अब,
राम नाम सौं प्रीति जोड़ अब,
राम धाम में बाँह पसारे,
श्री गुरुदेव खड़े पट खोले,
राम राम काहे ना बोले।