दानी बलदानी खाटू वाले श्याम क्या कहने तेरे क्या कहने,
हुई किरपा मुझपे जो तेरी लगा हु मौज में रहने,
दानी बलदानी खाटू वाले श्याम क्या कहने तेरे क्या कहने,
मेरी खुशियों से भर दी झोली रोज दीवाली रोज मेरी होली,
सब चिंता फ़िक्र दूर हो गई श्याम श्याम मेरी जीबा जो बोली,
घडी भीतर जो नफरत की दीवार लगी डेहने,
दानी बलदानी खाटू वाले श्याम क्या कहने तेरे क्या कहने,
जब से खाटू का धाम मैंने पाया सुख चैन मेरे जीवन में आया,
हर उल्जन सरल होने लगी जाने क्या तूने जलवा दिखाया,
मेरे मन में सबर संतोष की लगी है गंगा बेहनी,
दानी बलदानी खाटू वाले श्याम क्या कहने तेरे क्या कहने,