खाटू नगर को प्रणाम

( गोकुल ढूंढा मथुरा ढूंढी तीर्थ सारी दुनिया सारी,
खाटू नगर में आन मिले कलयुग के अवतारी। )

सीकर जिले की पावन ज़मीन को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे खाटू नगर को प्रणाम।

खाटू में सब से पहले दर्शन जिसे मिला,
खाटू में मंदिर बनाया उस भक्त को प्रणाम,
कहते हैं आलू सिंह जी भक्ति शिरोमणि,
ऐसे दीवाने श्याम के उस भक्तो को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे खाटू नगर को प्रणाम।

जाते हैं चल के पैदल जो भक्त तेरे यहाँ,
उस डगर में पड़ी पग धूलि को प्रणाम,
आराम पाते बाबा तेरे भक्त थके हुए,
उस जगह श्याम कुंड श्याम बगीची को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे खाटू नगर को प्रणाम।

जिसने सजाया तेरा दरबार सांवरे,
बना दी मनोहर झांकी उस भक्त को प्रणाम,
गुणगान करते तेरा साज़ो आवाज़ से,
माँ शारदे के ऐसे नौ निहालों को प्रणाम,
बैठे जो दर पे तेरे जैकारे बोलते,
ताली बजाती गाते हर भक्त को प्रणाम,
खाटू से चलकर तेरे कीर्तन में आ गई,
निर्मल सुहानी पावन श्याम ज्योति को प्रणाम,
होता रहे ये कीर्तन ‘कोमल’ सदा सदा,
कीर्तन कराने वाले श्याम भक्तों को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे खाटू नगर को प्रणाम..........
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