संजीवन लेकर आ जाइयो

जब तक सूरज उदय ना होए,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥

ऊंचे पर्वत साधु बैठा जा पहुंचे हनुमान,
जा चरणों में शीश झुकाया और बतलाया अपना नाम,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥

कौन तुम्हारे माता-पिता है कहां तुम्हारा नाम,
किसके तो तुम भेजे आए, किसके तो लगा शक्ति बाण,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥

अंजनी माता पवन पिता है हनुमत म्हारा नाम,
रामचंद्र के भेजे आए, लक्ष्मण के लागा शक्ति बाण,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥

आधी रात पहर का तड़का ना पहुंचे हनुमान,
रामचंद्र की चिन्ता बढ गई, अब ना बचेंगे लक्ष्मण प्राण,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥

चिड़िया बोली मोरा कुके आ पहुंचे हनुमान,
रामचंद्र की विपता छूट गई, लक्ष्मण के बच गए प्राण,
संजीवन लेकर आ जाइयो॥
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