दुनिया की भीड़ में क्यों खो रहा,
मिलेगा कुछ भी ना फल जो बो रहा,
तू आजा घर लौट आ,
आ बेटे घर लौट आ...
मैं ढूँढू उस भेड़ को जो खो गयी,
गुनाहों की जेल में बंद हो गयी,
तू आजा घर लौट आ,
आ बेटे घर लौट आ....
गुनाहों में था अब तलक, तू जो धसा,
मकड़ी के जाल मे था जो फंसा,
तू आजा घर लौट आ,
आ बेटे घर लौट आ....
तू आँखे आब खोल कर सब जाँच ले,
तू सच और झूठ को अब माप ले,
तू आजा घर लौट आ,
आ बेटे घर लौट आ.....