श्याम रखते थे खबर तुम बेखबर क्यों हो गए
मेरे ये आंसू भी तुमपे बेअसर क्यों हो गए
श्याम रखते थे खबर तुम................
रहमतों से ही तो तेरी मेरा ये जीवन चला
तेरे चौखट के भिखारी दर बदर क्यों हो गए
मेरे ये आंसू भी तुमपे बेअसर क्यों हो गए
श्याम रखते थे खबर तुम................
जब कभी मैंने पुकारा तुमको पाया हर दफा
साथ तब थे दूर अब तुम इस कदर क्यों हो गए
मेरे ये आंसू भी तुमपे बेअसर क्यों हो गए
श्याम रखते थे खबर तुम................
पाऊं ना दीदार तेरा मेरा ऐसा दिन ना था
जाके बैठे तुम कहाँ ओझल नज़र क्यों हो गए
मेरे ये आंसू भी तुमपे बेअसर क्यों हो गए
श्याम रखते थे खबर तुम................
तेरी नाराज़ी को मैं कैसे सम्भालूं ये बता
फ़िक्र थी राघव की तुमको बेफिकर क्यों हो गए
मेरे ये आंसू भी तुमपे बेअसर क्यों हो गए
श्याम रखते थे खबर तुम................