कर्म तेरे अगर अच्छे है तो किस्मत तेरी दासी है,
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है,
कर न सको अगर पुण्य कोई तो कम से कम मत पाप करो,
दिल को चोट पहुँच जाए मत ऐसा किया कलाप करो,
इर्षा द्वेष नहीं करता जो वो गृहस्थ सन्यासी है,
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है,
झूठ कभी मत कहो किसी से हर दम सच की राह चलो,
बे मानी सी दूर रहो तुम हो कर बेपरवाह चलो,
ईश्वर अपनी सतनाओ से सत गुण का अभीलाषी है
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है,
लूट खसोट करो मत हरगिज क्या तुम ले जाओ गे,
गला काट कर इंसानो का आखिर तुम क्या पाओगे,
रोटा है सतिंदर अंजू जो लो लूप जो बिलाषी है,
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है,