( सावन बिता कार्तिक बिता और बिता फागुन मास,
तरस तरस कर रह गया श्याम तेरा ये दास। )
दुःख बहुत बड़े सरकार पड़े हम हाल से हुए बेहाल,
हारे के सहारे अब तो आकार ले सम्भाल॥
लहरों का जोर भारी टूटी सी नाव है,
तू ही बता दे बाबा क्या ये इंसाफ़ है,
थाम लो अब पतवार श्याम तुम ले चल परली पार,
हारे के सहारे अब तो आकार ले सम्भाल॥
सारी दुनिया में मेरा कोई ना आसरा,
मेरा तो जो कुछ वो तू ही है सांवरा,
देर करो ना और सहा ना जाए अब ये काल,
हारे के सहारे अब तो आकार ले सम्भाल॥
पहले क्या गम कम था इस जीवन में श्याम है,
दूजा जो गम तू देता ना सुनकर श्याम है,
अब तो बाबा मोरछड़ी ले लीले पर तो चाल,
हारे के सहारे अब तो आकार ले सम्भाल॥
तेरा हर फैसला सिर माथे सरकार ये,
आये जो ना फिर समझू कमी थी पुकार में,
‘कमल’ भरोसा प्रीत ना होगी तुम संग लगी बेकार,
हारे के सहारे अब तो आकार ले सम्भाल॥