चले गये सतगुरू, कौंंन से जहांन में
रहता है कैसे शिष्य,गुरू बिन जहांन में
डुडंता फिरूं उन्हें में,अब कहां कहां में
चले गये सतगुरू....
गलि कुचे डुंड फिरा,पाया पता ना
चले गये कौंन देस,हमको पता ना
छोड़ मझधार फिर भी, रख़ा ख़्याल है
चले गये सतगुरू....
श्यामा श्याम रटते रटते, जीवन की शाम आई
अन्तं समय में मेरे, यही गंगा काम आई
रसिका को पागल, बनाया इस जहांन में
चले गये सतगुरू....