लागे प्यारो यो हरबार, आऊँ जद-जद मैं दरबार
लागे प्यारो यो....
दुनिया पे जो हुक्म चलावे-॥, खाटू की सरकार
लागे प्यारो यो...
भांत-भांत की माला पहने, बैठो माल लुटावे से
इतर की खुशबू से महके-॥, थारो यो दरबार
लागे प्यारो यो....
जद जद कोई खाटू आवे, दर पे शीश झुकावे से,
सगला ने यो गले लगावे ॥, यो तो करता प्यार
लागे प्यारो यो...
हारे का यो साथ निभावे, सबकी बिगड़ी बनावे से
महिमा यो "गोपाल" है गावे-॥, थारो यो उपकार
लागे प्यारो यो...
भजन लेखक:-
गोपाल गोयल "श्याम दिवाना"
(9811845745)
Album Name:- "हमारे दो रिश्तेदार"