जानें कैसा नशा हो जाता है,
दिल महिमा तेरी गाता है॥
किसी और का ना हो पाता है,
दिल महिमा तेरी गाता है॥
ये नशा नहीं बाजारों में,
नहीं मिलता ये महख़ानों में,
जो प्रेम सुधा रस पाता है,
वो महिमा प्रभु की गाता है,
जानें कैसा नशा हो जाता है,
दिल महिमा तेरी गाता है॥
इसको पी कर रसख़ान हुए,
कोई मीरा तुलसीदास हुए,
कोई सूरदास हो जाता है,
दिल महिमा प्रभु की गाता है,
जानें कैसा नशा हो जाता है,
दिल महिमा तेरी गाता है॥