ओ मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रवहु सु दशरथ अजर बिहारी,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......
ओ हरी अनंत हरी कथा अनंता,
कहही सुनही बहु विधि सब संता,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम......
ओ भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे,
दूर करो प्रभु दुःख हमारे,
दशरथ के घर जन्मे राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
हो विश्वामित्र मुनीश्वर आए,
दशरथ भूप से वचन सुनाये,
संग में भेजे लक्ष्मण राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ वन में जाए ताड़का मारी,
चरण छुआए अहिल्या तारी,
ऋषियों के दु:ख हरते राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ जनकपुरी रघुनन्दन आये,
नगर निवासी दर्शन पाए,
सीता के मन भाये राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ रघुनन्दन ने धनुष चढ़ाया,
सब राजों का मान घटाया,
सीता ने वर पाए राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ परशुराम क्रोधित हो आये,
दुष्ट भूप मन में हर्षाये,
जनक राय ने किया प्रणाम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ बोले लखन सुनो मुनि ज्ञानी,
संत नहीं होते अभिमानी,
मीठी वाणी बोले राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो,
जो कुछ दंड दास को दीजो,
धनुष तुड़इया मैं हूँ राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ लेकर के यह धनुष चढाओ,
अपनी शक्ति मुझे दिखलाओ,
छुअत चाप चढ़ाये राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ हुई उर्मिला लखन की नारी,
श्रुतिकीर्ति रिपुसूदन प्यारी,
हुई मांडवी भरत के वाम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....
ओ अवधपुरी रघुनन्दन आये,
घर घर नारी मंगल गाये,
बारह वर्ष बिताये राम,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम.....