लक्षमण और सीता के संग वन को जाते राम |
दर्शन प्यासी भीलडी जोत रही बाट ॥
चित्रकूट के घाट घाट पर, भीलडी जुवे वाट ॥
राम मेरे घर आना ,राम मेरे घर आना ॥
आसन नहीं है रामा , कहा पे बिठाऊं, कहा रे बिठाऊं
टूटी पड़ी है खाट, खाट पर बिछी पड़ी है टाट॥
राम मेरे घर आना , राम मेरे घर आना ॥
चित्रकूट के घाट घाट पर ,भीलडी जुवे वाट ॥
राम मेरे घर आना ,राम मेरे घर आना॥
भोजन नहीं है रामा , क्या मैं जिमाऊं, क्या मैं जिमाऊं॥
ठंडी पड़ी है घाट घाटमें, ठंडी पड़ी है घाट घाटमें डालू ठंडी छाछ॥
राम मेरे घर आना , राम मेरे घर आना॥
चित्रकूट के घाट घाट पर,भीलडी जुवे वाट ॥
राम मेरे घर आना ,राम मेरे घर आना ॥
मेवा नहीं है रामा क्या मैं चडाऊं, क्या मैं चडाऊं ॥
छोटे पड़े हैं पेड़ पेड़ पर, छोटे पड़े हैं पेड़ पेड़ पर लगे पड़े हैं बेर॥
राम मेरे घर आना,राम मेरे घर आना॥
चित्रकूट के घाट घाट पर,भीलडी जुवे वाट ॥
राम मेरे घर आना,राम मेरे घर आना॥
झुला नहीं हैं रामा काहे में झुलाऊं, काहे में झुलाऊं॥
हरे भरे हैं पेड़ पेड़ पर, हरे भरे हैं पेड़ पेड़ पर झूले सीताराम॥
राम मेरे घर आना,राम मेरे घर आना ॥
चित्रकूट के घाट घाट पर,भीलडी जुवे वाट॥
राम मेरे घर आना | राम मेरे घर आना॥
हो ओ राम मेरे घर आना, हो ओ राम मेरे घर आना ॥