जीवन का सार तुम्हीं हो,
मन का आधार तुम्हीं हो,
हे राम प्रभू रघुराई,
तुम ही दाता सुखदाई,
सहारा है, रामजी है तेरा, तुम जैसा नहीं दूजा॥
शबरी के जैसी आशा, प्राणों में पिरोये बैठे,
दर्श दिखाओगे हमें, सपना ये संजोये बैठे,
तुम सागर हो करुणा के,
दो बूँदों के हम प्यासे,
मुक्ती का द्वार तुम्हीं हो,
करता करतार तुम्हीं हो,
हे राम प्रभू रघुराई,
तुम ही दाता सुखदाई,
सहारा है, रामजी है तेरा, तुम जैसा नहीं दूजा॥
केवट बनकर मैं स्वामी, सेवा का सुख ही चाहूँ,
दास तेरा बन पाऊँ तो, क़िस्मत को सदा सराहूँ,
गुण अवगुण को बिसरा के,
रखना यूँ ही अपना के,
भव से उद्धार तुम्हीं हो,
ईश्वर साकार तुम्हीं हो,
हे राम प्रभू रघुराई,
तुम ही दाता सुखदाई,
सहारा है, रामजी है तेरा, तुम जैसा नहीं दूजा॥