तुलसी अपनी रामायण में कह गए

तुलसी अपनी रामायण में कह गये,
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये॥

राम मर्यादा सिखाने आये थे,
धर्म के पथ पर चलाने आये थे,
तुलसी अपनी रामायण में कह गये,
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये...

प्रेम हो तो भरत जैसे भाई का,
राज चरणों में रहा रघुराई का,
जुलम केकई के भरत भी सह गये,
तुलसी अपनी रामायण में कह गये,
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये...

उर्मिला साक्षात् सती की शान है,
जिसकी आरती से जगत हैरान है,
लखन आकर खुद चकित हे रह गये,
तुलसी अपनी रामायण में कह गये,
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये...

जिंदगी दशरथ की बीती श्राप में,
प्राण त्याग दिए राम वियोग में,
तुलसी अपनी रामायण में कह गये,
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये...
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