वो आ गया खाटू वाला, वो आ गया खाटू वाला,
वो अहलवती का लाला, वो हारे को जिताने वाला,
वो आ गया खाटू वाला.....
तन केसरिया बागा सोहे,
मोहन मुरली वाला,
वो आ गया खाटू वाला.....
शीश मुकुट कानों मैं कुण्डल,
गल पुष्पों की माला,
वो आ गया खाटू वाला....
युमना किनारे गउएं चरावे,
ओढ़े कम्बल काला,
वो आ गया खाटू वाला.....
श्याम नाम तू क्यों नहीं लेता,
पड़ा जुबां पे ताला,
वो आ गया खाटू वाला.....
भीमसेन के पौत्र लाडले,
अहलवती के लाला,
वो आ गया खाटू वाला....
मन्दिर में झूला डलवावे,
झोंटा दे ब्रिज बाला,
वो आ गया खाटू वाला....
एक निशानी और बताऊँ,
श्याम का रंग है काला,
वो आ गया खाटू वाला....
श्याम मंदिर पे दुष्टों ने था,
अपना डेरा डाला,
वो आ गया खाटू वाला....
आलूसिंह जी पर कृपा कीनी,
भक्तों का रखवाला,
वो आ गया खाटू वाला....
गर्व तोड़ कर श्याम-बहादुर,
के हित खोला ताला,
वो आ गया खाटू वाला.....