भाजे रे शंख भाज भाजे रे ढोल ताशे,
बरसे वरखा गुलाल की,
निकलि रे निकलि रे निकलि रे निकलि रे,
निकलि रे निकलि रे मोरे साई सांवरिया की पालकी॥
नाचे रे देव नाचे, नाचे महादेव नाचे,
चढ़ गई मस्ती धमाल की,
निकलि रे निकलि रे निकलि रे निकलि रे,
निकलि रे निकलि रे मेरो साई सांवरिया की पालकी॥
सज रही पालकी सूरज चंदा से,
मुख पे गुलाब सजे रजनीगंधा से,
आवे जी आवे.. खुशबू नशीली अँधेरी रात भी हो रंगीली,
आते है सुख आते जाते है दुःख जाते,
देखो जी लीला कमाल की,
साई सांवरिया की पालकी....
सब से आगे है गणपति चलते,
जिनके नाम से विघन है टलते,
ब्रह्मा जी विष्णु.. शंकर जी गावे,
हम तीनो साई के अंदर समावे,
भक्ति जगा के कन्धा लगा के होगे माला माल जी,
साई सांवरियां की पालकी......