हंसा निकल गया काया से खाली पड़ी रही तस्वीर॥
खूब मनाये देवी देवता खूब मनाये पीर,
अब परवाना है उस घर का जाना पड़े अखिर॥
कोई रोबे कोई मलमल धोवे कोई उड़ावे चीर,
चार जने मिल कांधे उठामें ले जाएं जमुना तीर॥
जब यमदूत लेन को आने तनक घरे नहीं धीर,
मार मार के प्राण निकाले वहे नैन से नीर॥
मोर मुल्क की क्या रे चलाई संग ना जावे शरीर,
जा जंगल में चिता बना दई कह गए दास कबीर॥
हंसा निकल गया काया से खाली पड़ी रही तस्वीर॥