बांधो बांधो रे रस्सी से नंदकिशोर,
यशोदा मैया डांट रही,
कोई देखा नहीं तेरे जैसा चोर,
यशोदा मैया डांट रही॥
रोज-रोज गुजरी के घर में जाकर उदम मचावे,
माखन से घर भरा पड़ा है क्यों चोरी कर खाबे,
लागा लागा रे स्वाद कछु और यशोदा मैया डांट रही....
बार-बार समझा के हारी बात समझ नहीं आई,
बोल कन्हैया साची साची वरना करूं पिटाई,
तेरी बातों का नहीं है कोई तोड़ यशोदा मैया डांट रही....
मां की बातें सुन कान्हा ने आंसू तो छलकाया,
चले जोर मेरे पै तेरा जाने मुझे पराया,
तेरा सखियों पर चले ना कोई जोर यशोदा मैया डांट रही....
समसम का रस अंखियों का ताना मेरा जी घबराया,
आंसू देख हरि के नैनों में मेरा जी भर आया,
सखियों बांधो रे प्रेम की डोर यशोदा मैया डांट रही.....