वक्त है कम लंबी मंजिल,
तुम्हें तेज कदम चलाना होगा,
हे परम तपस्या के पथी को,
तुम्हें नूतन पथ रचना होगा,
वक्त है कम लंबी मंजिल,
तुम्हें तेज कदम चलाना होगा॥
जीवन के समरगन में है,
विजय बनना आसन नहीं,
वह सतत बिंदू कुछ पल होंगे,
जिनका पहले से ज्ञान नहीं,
अंजान क्षितिज के कोने में,
इंसान नया चुनन होगा,
हे परम तपस्या के पथी को,
तुम्हें नूतन पथ रचना होगा,
वक्त है कम लंबी मंजिल,
तुम्हें तेज कदम चलाना होगा॥
साधना के और सुविधा के,
छैया में ना सोजना,
मयके प्रलोभन प्यारे हे,
इनके वस मे ना हो जाना,
हे परम तपस्या के पथी को,
तुम्हें नूतन पथ रचना होगा,
वक्त है कम लंबी मंजिल,
तुम्हें तेज कदम चलाना होगा॥
आनंद की अनमोल घड़ी में कोड़ी के,
भाव ना बिक जाना,
चलती साँसे अग्नत मोड़ पर,
आकार के ना रुक जाना,
हे परम तपस्या के पथी को,
तुम्हें नूतन पथ रचना होगा,
वक्त है कम लंबी मंजिल,
तुम्हें तेज कदम चलाना होगा॥