ठंडे पानी में कांप रहा है तन

ठंडे पानी में कांप रहा है तन,
उठो उठो हे सूर्य गोसाई
अर्घ की घड़ी निकट है आई
जोहे है सब बाट तुम्हारे
तुमने कहां है देर लगाई
कष्ट के मारे मेरे प्रभुवर विचलित हो जाए ना मन
ठंडे पानी में कांप रहा है तन....

कोयल आई कुकन लागी,
सब ने आंखें खोली है,
जल बीच खाड़ हो बाट निहारे,
सब भक्तों की टोली है,
दर्शन दे दो दिनानाथ, भटक रहे हो तुम किस वन,
ठंडे पानी में कांप रहा है तन....

कब आओगे रूठे हो क्या,
दर्श को नैना तरसे है,
देख को तुमको धरती अम्बर,
कलिया  मन में हांसे है,
हो अधीर सब बाट निहारे, जो ही है आओ भगवन,
ठंडे पानी में कांप रहा है तन....

आदित्यमल अब आ जाओ ना,
भेंट को तुम स्वीकार करो,
फैला अंधियारा धरती पर,
आकर तुम उजियार करो,
दे दो आशीर्वाद सभी को, जोहे हैं सब जन,
ठंडे पानी में कांप रहा है तन....
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