श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली.....
कभी वृन्दावन खेले,
कभी गोकुल में खेले,
कभी मथुरा में खेले,
कभी बरसाने खेले,
रंगी नंदगाव की गलियां,
रंगी भानु की हवेली,
चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली.....
कभी वो गुलाल उड़ाएं,
कभी मारे पिचकारी,
कभी रंग जाए राधा,
कभी रंग जाए बिहारी,
ये कैसा मस्त महीना,
है कैसी सुन्दर जोड़ी,
चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली.....
बाग़ ये है अलबेला,
लगा कुंजन में मेला,
हर कोई नाचे गाए,
रहा ना कोई अकेला,
पराग के संग मिल बोलो,
हर बरस आए होली,
चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली.....