राम बेचने आया मैं श्याम बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं भगवन बेचने आया,
इस मिटटी से आश्मान में तू इंसान बनाता है,
पेट की खातिर मिटटी का मानव भगवान बनाता है,
हनुमत दुर्गा शंकर काली नाम बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं भगवन बेचने आया,
तुझसे खरीद ने ये मानव मोल भाव भी करते है,
कुछ पैसो की खातिर ये तो अपनी आहे भरते है,
कुछ न कीमत देदो मैं जुबान बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं भगवन बेचने आया,
मिटटी की मूरत को लगा घर में करते पूजा तेरी,
तुझसे ही वो मन ते अपनी भरते है झोली पूरी,
सौदागर हु सौदा कर न ईमान बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं भगवन बेचने आया,
तू माफ़ करना मुझको भगवान वेच रहा तेरे नाम को,
इंसानो की क्या है फितरत देख रहा इंसान को,
इंसानो की कहे गर्ग पहचान बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं भगवन बेचने आया,