है सिर पे मुकुट कंठ बैजंती माला,
कहा जा छुपा है मेरे मुरली वाला,
है सिर पे मुकुट कंठ बैजंती माला......
तूँ आंखों में मेरी सदा बस रहा है,
तू धड़कन है दिल में सदा बज रहा है,
है आंखों का मेरी तू ही एक उजाला,
कहा जा छुपा है मेरे मुरली वाला,
है सिर पे मुकुट कंठ बैजंती माला......
मैं सोया करूँ तो दिखे तू ही तू है,
मैं जागा करूँ तो लगे तू ही तू है,
है सपनो में मेरे तू ही आने वाला,
कहा जा छुपा है मेरे मुरली वाला,
है सिर पे मुकुट कंठ बैजंती माला......
रे तुझको बुलाते हैं पर क्यो ना आता,
अरे प्यास नैनो की क्यो ना बुझाता,
ये ‘राजेन्द्र’ सुनता था तू है दयाला,
कहा जा छुपा है मेरे मुरली वाला,
है सिर पे मुकुट कंठ बैजंती माला......
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी