हनुमान गगरिया भर ने दो, हमे लौट अवध को जाना है,
हमे लौट अवध को जाना है, हमे लौट अवध को जाना है,
हनुमान गगरिया भर ने दो, हमे लौट अवध को जाना है.....
मैं कैसे गगरिया भरने दूं यहां दशरथ जी का पहरा है,
तुम्हें जान नहीं पहचान नहीं वह ससुर हमारे लगते हैं,
हनुमान गगरिया भरने दो......
मैं कैसे गगरिया भर ने दूं यहां भोले जी का पहरा है,
तुम्हें जान नहीं पहचान नहीं वह लगते जेठ हमारे हैं,
हनुमान गगरिया भरने दो......
मैं कैसे गगरिया भरने दूं यहां श्री राम का पहरा है,
तुम्हें जान नहीं पहचान नहीं वह पति हमारे लगते हैं,
हनुमान गगरिया भरने दो......
मैं कैसे गगरिया भरने दूं यहां भरत लाल का पहरा है,
तुम जान नहीं पहचान नहीं वह देवर हमारे लगते हैं,
हनुमान गगरिया भरने दो......
मैं कैसे गगरिया भरने दूं यहां लक्ष्मण जी का पहरा है,
तुम जान नहीं पहचान नहीं वो छोटे देवर हमारे हैं,
हनुमान गगरिया भरने दो......