वैध बन करके गोकुल से मोहन चले

वैध बन करके गोकुल से मोहन चले,
उनका बरसाने जाना गजब हो गया,
जंगल की बूटियों से है झोली भरी,
उनका मुरली छुपाना गजब हो गया,
वैध बन करके गोकुल से मोहन चले.....

जाकर बरसाने गलियों में आवाज दी,
आए हैं दूर से एक बड़े वैध जी,
कोई होवे बीमारी तो ले लो दवा,
शोर इनका मचाना गजब हो गया,
वैध बन करके गोकुल से मोहन चले.....

नब्ज पकड़ी तो बोले तुरंत वैध जी,
सखी इनको तो कोई बीमारी नहीं,
इनके नैना लड़े सांवरे लाल से,
दिल खिलौना समझ ना गजब हो गया,
वैध बन करके गोकुल से मोहन चले.....

पकड़ा हरि को हरि की तलाशी हुई,
जंगल की बूटियों में वसूरिया छिपी,
पकड़ लो श्याम को जा ना पाए कहीं,
भेद इनका छुपाना गजब हो गया,
वैध बन करके गोकुल से मोहन चले.....

बोली सखिया सुनो प्यारी ओ राधिका,
तेरी मैया को इस वैद्य ने ठग लिया,
तुमसे मिलने का इसने बहाना किया,
इसका छल बल दिखाना गजब हो गया,
वैध बन करके गोकुल से मोहन चले.....
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