राधा रानी को अपनी बिरहन बना के,
भूल गए कान्हा क्यों मथुरा में जा के
राधा रानी को अपनी बिरहन बना के,
तेरे विरहे में हुई राधा दीवानी
निष् दिन अंखियो से बरस ता है पानी
जी नही पाउंगी मैं तुम को बुला के
राधा रानी को अपनी बिरहन बना के,
तुझमे वसी है कान्हा राधा की जान रे
आया न छलिया तो बात मेरी मान रे,
जला लेगी तन ये विरहन अगन लगा के
राधा रानी को अपनी बिरहन बना के,