फूलों में नज़ारों में ना यारों के महफ़िल सजाने से,
जो ख़ुशी मिलती मुझे खाटू आ जाने से,
खाटू आ जाने से श्याम दरस पाने से....
जबसे देखी है रौनक तेरे दरबार की,
फीकी फीकी लगती मुझको रंगत हर त्यौहार की,
होली के रंगो से ना दिवाली के दीपक जलाने से,
जो ख़ुशी मिलती मुझे खाटू आ जाने से,
खाटू आ जाने से श्याम दरस पाने से....
तेरे भजनो का जादू ऐसे सिर चढ़ गया,
और कहीं अब दिल नहीं लगता जब से दिल यहाँ लग गया,
गीतों से ना ग़ज़लों से ना सरगम से ना किसी तराने से,
जो ख़ुशी मिलती मुझे खाटू आ जाने से,
खाटू आ जाने से श्याम दरस पाने से.....
तेरी महिमा का वर्णन सोनू अब आम है,
तेरी बातें तेरी चर्चा हर घडी ये काम है,
किस्सों से कहानी से ना यादों से ना किसी फ़साने से,
जो ख़ुशी मिलती मुझे खाटू आ जाने से,
खाटू आ जाने से श्याम दरस पाने से......